Telang

verse

Text (not proofread)

भू : पर्यो निजभुजलता कन्दुकं खं वितानं

· दीपश्चन्द्रो विरतिवनितालब्धसङ्गप्रमोदः ।

दिक्कान्ताभिः पवनचमरैवज्यमानः समन्ता

द्विक्षुः शेते नृप इव भुवि त्यक्तसर्वस्पृहोपि ॥ ३२ ॥

footnote

Text (not proofread)

XXXII . ( a ) दु ; ° चु ° A. ° कम् ; ° क : K. A. ( 6 ) ° न्द्रो विर

● न्द्रः सुम " . T. ( c ) ° कान्सा ; ° कन्या ° A. ° नः समन्तात् ; ° नोनुवेलम् . A.

( d ) भुवि : ननु A. " स्पृहो ; ० वेंषणी A.

endnote

Text (not proofread)

St. XXXII . - Compare St. 79 supra . - Mandákrántú .

Kosambi

verse

Text (not proofread)

भू : पर्यङ्को निजभुजलता कन्दुकं खं वितानं

दीपश् चन्द्रः सुमतिवनितालब्धसङ्गप्रमोदः ।

दिक्कान्ताभिः पवनचमरैर्वीज्यमानः समन्ताद्

भिक्षुः शेते नृप इव भुवि व्यक्त सर्वस्पृहोऽपि ॥ २ ९ १ ॥

footnote

Text (not proofread)

291 { V } A paraphrase of महीशय्या शय्या . Found in W ( V86 ) ; & lso F3.5

V75 ; BVB2 V73 [ Also Jodhpurl V69 ; BU V80 . ] - 2 ) BVB2 भूमिः शय्या ( for

भूः पर्यको ) . F3 गलकं ; Fo F5 गेंदुक : ; BVB2 गंडुकं ( for कन्दुकं ) . - 4 ) Fs विरति - ( for

सुमति - ) Fs - संगलब्धप्रबोध :; W2 . 4 -लब्धसंगः प्रमोदः . - ● ) F3.5 BVB2 दिक्कन्याभिः and

वीज्यमानोनुकूलं . – ) BVB2 सुखं ( for भुवि ) . F3 BVB 2 त्यक्तसर्वेषणोपि .

BIS . 4601 ( 2054 ) Bhartr ed . Bohl . 3. 93. Haeb . 16. lith ed . I. 89 , III . 87 .

Galan 90. Subhash . 146 ; Sp . 4097 ; SRB . p . 369 60 ; SHV . f . 76 855 ( Bh , ) ;

SS . 36.9 ; ; SU . 1008 ; SM . 905 ; SSD 4. f . 256 ; SSV . 886 .