निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्वरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ ८३ ॥
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात् पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ २६५ ॥
265 { N } Om . in X Y1G2.3.5 , Goa , Adyar XXII - B - 10 , and Mysore 1642 .
Found in GVS 2387 twice as N11 and N 24 , a ) F3 निंदंति . 9 अथ ( for यदि ) .
Jit स्तुषंति . 4 ) As Y3 लक्ष्मी . परापततु ; 7 समादिशतु . Bs Fo - 25 Ie M1 3 5
यथेच्छं . -- ° ) W2-1 मरणमेव . F -- d ( ) ) 42 BCE + J23 M3 न्यायात्पथः ; Jit न्यायात्पदं ; Mo
नार्यास्त्वतः ( for न्याय्यात् पथः ) . A2 Eit प्रतिचलंति ; J3 ( by corr . ) G1 M1.2 प्रचलयंति .
C न धीरसत्त्वाः ; G + पदान्न धीराः .
BIS . 3723 ( 1581 ) Bhartr ed . Bohl . 2. 81. Haeb 10 lith ed . I and III . 82
Galan 87 Sanskrtapathopa 02. Subhash 61 , 303 ; Śp . 225 ( Bh . ) ; SREp . 7811
( Bh . ) ; SBH . 278 ; SRH . 28. 12 ( Bh . ) ; SRK . ) . 50. 2 ( Prasaigaratnāvali ) ;
Alainkāraratnākara 471 ; ST 2. 1 ( Bh . ) ; S1 24 119 ; SHV f 478 342 ( Bh . ) ;
SU . 1447 ; PT . 1. 39 ; SSD . 2. f . 09 ; SMV . 28.22 ; JSV . 173. 4 ; SKG f . 17b .