नायं ते समयो रहस्यमधुना निद्राति नाथो यदि
स्थित्वा द्रक्ष्यति कुप्यति प्रभुरिति द्वारेषु येषां वचः ।
चेतस्तानपहाय याहि भवनं देवस्य विश्वेशितु
निर्दोवारिकनिर्दयोक्त्यपरुषं निःसीमशर्मप्रदम् ॥ ९ ७ ॥
St. XCVII . -- रहस्यमथुना is not quite clear . It seems to mean :
“ Now [ is the time to be in ] private i . e . to be alone . Construe यदि
प्रभुः स्थिला द्रक्ष्यति कुप्याते . On निर्दोवारिकनिर्दयोक्त्यवरुषम् the commentary
says निर्दोवारिकं च तत् निर्दयोक्त्यपरूपम Better thus निर्दोवारिकनिर्द
याँक्ति and भवरुषम् ; the two as a compound or separately , निर् being
construed with the compound up to उक्ति . - Sárdalavikridita .
नायं ते समयो रहस्यमधुना निद्राति नाथो यदि
स्थित्वा द्रक्ष्यति कुप्यति प्रभुरिति द्वारेषु येषां वचः ।
चेतस् तानपहाय याहि भवनं देवस्य विश्वेशितुर्
निर्दोवारिक निर्दयोत्तयपरुपं निःसीमशर्मप्रदम् ॥ २६४ ॥
264 { V } Found in C D E F 3-5 ; BU V41 [ Also ISM Kalamkar 195
V 63 ( 65 ) ; BORI 328 V108 ( 106 ) ; Wai 2 V34 ; Jodhpur 3 V 103 ( 102 ) ; NS3
V 52 and V97 ] . a ) C C नायातः ( for नायं ते ) . निद्राति नाद्यापि हि ; : निद्रा न बाधो
न हि ; Fs BU निद्राति नाथो न हि . 4 ) D E2.5 क्षति ; F3 दृप्यति ; F½ BU द्रक्ष्यसि
( for द्रक्ष्यति ) . Fs पाल्यति ; BU पाल्यसि ( for कुप्यति ) . No ये मां ( for येषां ) . – )
E6 ते च स्थानपहाय . E2 पाहि ( for याहि ) . C पदवीं ( for भवनं ) . F3 वै सेवितुं ; F4
विश्वप्रभोर ( for विश्वेशितुर् ) – 4 ) F5 BU नो दौवारिक . C - निर्भयोक्ति ; D F3-5 BU
-निर्दयोक्ति ( for निर्दयोक्त्य- ) . Fi- पुरुषं ( for परुषं ) . C संवित्पदं ; Do शर्मप्रदः ; Fs
संपत्प्रदं .
BIS . 3612 ( 1550 ) Bhartṛ . in Schiefner and Weber p . 23. lith . ed . II . 3. 40 .