अप्रियवचनदरिद्रैः प्रियवचनाढ्यैः खदारपरितुष्टैः ।
परपरिवादनिवृत्तैः क्वचित् क्वचिन् मण्डिता वसुधा ॥ २६ ॥
206 { N } Om in E S ( except W ; Srtigeri 309 N85 ) Jodhpur 1 and 3 ,
8 ) A1c D F3 I W नायै :; Fo and Śrngeri 309 ° नाथै : ( for नायैः ) . As BF4H
I J1 संतुष्टै : ( for ' परितुष्टैः ) - ) BF Wa ( by corr . ) पराप ' ( for परपरि ) . FsJs
' वादि ' ( for ' वाद ' ) . – 4 ) F2 . ± ( t.v. as in text ) ) कैश्चिदियं ( for क्वचित्कचिन् ) . B1 भूमिः ;
Ji J1 वसुधाः ; J2 पृथिवी .
BIS 470 ( 174 ) Bhartr ed . Bohl extra 11. Hacb . 2. 83. lith ed . I. 103 ;
Galan 106 ; SRB p . 47. 91 ; SRK . p . 15.44 ( Bh . ) ; SSD . 2. f . 94a .