अपसर सखे दूरादस्मात् कटाक्षविषानलात्
प्रकृतिविषमाद् योषित्सपीद् विलासफणाभृतः ।
इतरफणिना दष्टः शक्यश् चिकित्सितुमौषधैश्
चटुलवनिता भोगिग्रस्तं त्यजन्ति हि मन्त्रिणः ॥ २०५ ॥
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Kgepahca . " a ) ) Wt अपसर वै ( W1 अथ सर सबै ) ( for अपसर सखे ) . Y1 . 2 खेदादू ( for
दूरावु ) . F3 विषमानलात् ; Fs WG 1 ° विशिखानलात् ; M. विषोल्बणात् ( for ' विषानलात् ) .
4 ) A1 प्रकृत- ( for प्रकृति- ) . W2-1 ( all text only ) ' विलाभृतः ; M4.6 ° फणानिलात् ( for
' फणाभृतः ) . " ) F3 इति च ( for इतर ) . ' T 3 - भणिना ( for - फणिना ) . D दृष्ट :; एक दष्टाः ;
W W दृष्टाः ; Y7 दृष्टं ( for दष्ट : ) . Eat साक्षाच ; Fs W शक्याश ; J Yr कश्चिय् ( for शक्यश ) .
E2 औषधं ; Est ओषधैश ; J ईहते ( for औषधैश ) . F – d 2 ) S ( except Y2m.v.8 G6 M4 . 6 6 )
चतुर ( for चटुल- ) . C2 FW -भोगग्रस्तं . D मंत्रिणी ; M1 . 2.5 मंत्रिका ..
BIS . 410 ( 142 ) Bhartṛ . ed . Bohl . and lith . ed . III . 1. 83 , I. 84. Haeb . 86 .
Satakāv . 73 ; SRB p . 350.74 ; SLP . 6.17 ( Bh . ) .