भक्तिर्भवे मरणजन्मभयं हृदिस्थं
स्नेहो न बन्धुषु न मन्मयजा विकाराः |
संसर्गदोषरहिता विजना वनान्ता
वैराग्यमस्ति किमतः परमर्थनीयम् ॥ ७५ ॥
LXXV . ( b ) ° हो ; ° हे , N. बन्धु ° ; वस्तु ° A. न म ० ; च म ° T . Bo . G.
( d ) ° मतः ; ° मित : N. ° मर्थ ° ; ° मार्थ ° M. G. T. C. किमतः परमर्थनीयम् ;
हृदि चैयरमर्थयन्ति A.
St. LXXV . - the fear of [ ever - recurring ] birth
and death . स्नेहो न बन्धुषु Comp . Mohamudgara शत्रो मित्रे पुत्रे बन्ध
A मा há कुरु qá यत्नं ſtacarà विग्रहसन्धी p . 33. of Kavyasangraha . When there are
these things i . e . from to , what more is to be asked
for or desired ? -Vasantatilaká .
भक्तिर्भवे मरणजन्मभयं हृदिस्थं
नेहो न बन्धुषु न मन्मथजा विकाराः ।
संसर्ग दोषरहिता विजना वनान्ता
वैराग्यमस्ति किमतः परमर्थनीयम् ॥ १८७ ॥
187 ) Yt G1 M2 भक्तिर्भवेन् . Wat . st ° भयं हृदिस्थो ; W½ ° मयं हृदिस्थं ; G4
' विनाशिनी स्यात् ( for ' भयं हृदिस्थं ) . - ' ) Jit स्नेहो नु ; Y1 स्नेहेन ; Ma देहो न ( for स्नेहो न ) .
F2 वस्तुषु ( for बन्धुषु ) . W च ( for the second न ) . CF1 J1G14 M1-4 मन्मथजो विकारः
( J1 ° राः ) ; X Y 3 मान्मथजा विकाराः - ● ) D -राग ( for - दोष- ) . J8 Ms रहितं ; X1 रहितो :
X 2 ° रहिते . Y2 M3 विजने . J3 वनान्तां ; X 2 वन्मेता ( sic ) ; Y2G1 M3 वनांते . .d ) Aot
Y4–6 . 8 T1B G5 किमित : Eo.3 - 5 F4 ( orig . ) J W परमा ( Wac मैं ) र्थनीयं ( Wa ' या ) ; F2
परमार्तयंति .
BIS . 4520 ( 2006 ) Bhartr . ed . Bohl . and lith . ed . I. 3. 69. Haeb and lith , ed .
III . 67 Galan 63. Subhash 314 .