दीना दीनमुखैः सदैव शिशुकैराकृष्टजीर्णाम्बरा
क्रोशद्भिः क्षुधितैर्नरैर्न विधुरा दृश्येत चेद्रेहिनी ।
यात्राभङ्गमयेन गद्गदगलत्तु यद्विलीनाक्षरं
को देहीति वदेत्स्वदग्धजठरस्यार्थे मनस्वी जनः ॥ ८ ॥
VIII . ( a ) ना ; ● नाम . T. M. सदैव ; तथैव T. वकीय . K. B. G. Bo
( orig . Bo.n. ) प्रा :; ०३ः A , ° राम् T. Bo . K. ( 6 ) ० र्नरैर्न ; ° निरैन . B.
० निरन्न T. K. Bo . J. N. नरैन G. विधुरा ; विधुराम . T. जठराम् , K. जठ
रैः . J. दृश्येत ; ° दइर्यंत . J. दृश्या न . N. दृष्ट्व . Bo.n. ( नाम for चेत् , ) . नी ;
© 4TH , T. K. Bo .
( c ) ° लनुय्यद्वि ; ° लोङ्गच्छद्वि ° K. ° लस्तद्वद्वि Bo . ° लनुद्वि ° Bo.n.
( a ) ° स्या ° ; ° स्वा ° T. जनः ; पुमान् . A. B. K. Bo . G.M.P.R. N.
St. VIII . - The Stanza occurs at p . 310 of the Kavyasangraha .
The commentator quotes the following : अतिदीनमुखैः पुत्रैर्युक्ता पत्नी
कदम्बरा || न भवहिनी गेहे देहीतीह कथं वदेत् || He adds भत्र भाकारप्रश्शेषः
arüfundar : zura . What this means I do not see . The sense is
that if a man of strong mind did not see his wife in the state
described , he would not go about to beg . It is the family that
constrains him to it . The commentator also has adala
f : but the text is not a & c . which would spoil
the metre ; दोना in truth goes with गेहिनी and दीनमुखैः with शिशु के .
F : the commentator explains by : which is not correct .
# : answers to the : in the last line . " If men did not
see ... what man of strong mind & c . " broken ZE¶Ù¶¶
दन्यत्क ( sic ) थनॆन भङ्गर्ता प्राप्तवत् ( commentary ) . विलीन = lost in the
articulation , not distinctly pronounced . The whole is an adverbial
compound .. ( Râmarshi ) . But comp . note , Nîti
s'ataka St. 94 , also Kadambari p . 326. Uttararâmacharita p . 95
and 156. - S'árdúlavikriḍita .
दीना दीनमुखैः सदैव शिशुकैराकृष्टजीर्णाम्बरा
कोशद्भिः क्षुधितैर्नरैर्न विधुरा दृश्येत चेद् गेहिनी ।
याच्ञाभङ्गभयेन गद्गद्गलत्रुट्यद्विलीनाक्षरं
को देहीति वदेत् खदग्धजठरस्यार्थे मनस्वी पुमान् ॥ १५२ ॥
152 ) BaF1 दीनाद्दीन ; CE5 दीनां दीन [ Ecom . दीनादीन = दीनानि च
अदीनानि च ] . J W X 2 X 2.3.6 G1.36 M स्वकीय ( for सदैव ) . J3 आकुष्य ( for आकृष्ट ) .
C C Fs W 1 जीणांबरां . - ' ) A8 A3 क्षुधितैर्जनैर्न विधुरा ; B1 विधुरः क्षुधातिविधुरा ; B2 क्षुधितैर्नि
तांतविधुरा ; C विधुरैः क्षुधातिविधुरां ; DF 35 I J We X Y1 . 2. 4 – 8 T_G14_M1 . 2 , 4 , 5
क्षुधितैर्निरन्नविधुरा ( Fs We ' धुरां ; J ' दुरा ) ; F2 विधुरर्नरैर्न विधुरा ; F क्षुधिताननैर्न विधुरा .
Wt Ms क्षुधितैर्निरन्नजठरैर ; Y3 G2.3 क्षुधितैर्निरनजठरा ; G5 भितैर्निरन्नजठरो . B1 Fam.v.
Y1 , 2 , 4–4 T_G2–5_M4 . हइया न ; C पश्येत ; Fs दृड्दैव ; G1 M1 . 2 दृष्टा न ( for दृश्येत ) . B
चेद्रेहनी ; C W 1 चेद्वेहिनीं ; s तां गेहिनीं . c ) Y3 यन्नाभंग . Eo . 3 ( and Ec ? ) Ha
गलत्रुग्यदू ; W1.1 X 1 गलतद्वद् ; Y8 -गलं तद्वद् ; ' T3 I'3 ' गलस्तृप्यद् . J - विलीनाक्षरः ; Yant
-विलीनाक्षरा ; G1 -विहीनाक्षरं – – 2 @ ) ) B2 च दग्ध- ; F 1 ( 1m.vas in text ) स्वदेह ; Y : स्वकीय ;
M4 सुदग्ध- C जठरस्यार्थो A3 C जन : ( for पुमान् ) .
BIS . 2813 ( 1163 ) Bhartṛ . ed . Bohl . 3. 22. Hacb . and Galan 19. lith . ed . I ,
III . 20 , II . 8. Śatakāv . 97 ; SRB . p . 97. 12 ( Bh . ) ; SBH . 3196 ( Bh . ) ; SRK . p .
77. 1 ( Bh . ) ; Tantrākhyāyikā II . 76 ; SHV . app . I f . 1 & 1 ( Bh . ) ; SSD . 2. f . 137b .