शुभ्रं सद्म सविभ्रमा युवतयः श्वेतातपत्रोज्ज्वला
लक्ष्मीरित्यनुभूयते चिरमनुस्यूते शुभे कर्मणि ।
विच्छिन्ने नितरामनङ्गकलहक्रीडात्रुटत्तन्तुकं .
मुक्ताजालमिव प्रयाति झटिति भ्रश्यद्दिशोदृश्यताम् ॥ २३ ॥
St. XXIII . -इति - इत्येतत्सर्वंम् अनुस्यूते = woven . विच्छिन्ने = brokem
off , rent down . ang should be , I think , . As it
stands it must be interpreted to mean " goes in all directions and
becomes invisible . " The construction required for this mean
ing , however , is not a good one . - S'árdúlavikridita .
शुभ्रं सद्म सविभ्रमा युवतयः श्वेतातपत्रोज्ज्वला
लक्ष्मीरित्यनुभूयते स्थिरमिव स्फीते शुभे कर्मणि ।
विच्छिन्ने नितरामनङ्गकलहक्रीडात्रुटत्तन्तुकं
मुक्ताजालमिव प्रयाति झटिति भ्रश्यदृशो दृश्यताम् ॥ ७ ॥
7 S in N and W ; N. in X YTG M . 2 ) H 2 धाम ; W½ सप्र ( for सद्मा ) .
Fs I Wst सुविनमा ; Yr शशिभ्रमा . Es F8 ° पत्रोज्वला :. w 6 ) F भूतये ( for भूयते ) .
As स्थितमिव ; C चिरमिव ; Eo.1 . 4.6 स्थिरमति ( Eo.5 ° तिः ) ; E3 स्फिरमिव ; Y2 G1 M
स्थिरमनु- ; Yo T G + चिरमनु- ; Xs स्थिरतरं ( for स्थिरमिव ) . F2 स्फारे ; J Y 2. 4 - 8T G4-6 M
-स्यूते ( for स्फीते ) . " ) B Eat छिन्नेस्मिन् ; C विच्छिन्नं ; Y० संछिने . F2 W2t Y1.8
[ 5 ] तितराम् ( for नितराम् ) . D J X 1 तृटत्तंतुकं ; F5 G1 M3 - त्रु ( Fs -तृ ) टत्कंचुकं ;
W2 . 3 त्रुट्यत्तंतुकं ; Ya महत्कंतुकं ; Y + M2 त्रुटत्कंदुकं ; G2.6 त्रुटत्तंतुके ; G4 त्रुटस्कंतुकं
( for -त्रुटत्तन्तुकं ) . 4 ) X2t मुक्ताज्वालम् ; G₁ मुक्ताहारम् . G2 प्रयांति . E3 I झटति ;
Es त्रुटिति ; F2 भ्रडति ; Fs भ्रकुटि ; J1 झडिति ; X 2 सततं ; Yr सकलं ( for झटिति ) .
B E3 H1 भ्रस्यहिशो ; C भ्राम्यन्नवं ; D Eo . 1.4 F14 H2 I J1 W Y3–6 . 4 T G2 ( by corr . ) . 3-5
अश्यदिशो ( Wat.st ° द्दस्यो ) ; 2 Ea भ्रस्य शो ; Fs भ्रश्यहुशा भ्रश्य हुशा ; ; Y : 2 भ्रश्यन्दशौ ; Y1 अंशाद्वृथा
( for अश्यदुशो ) . Ao.1 X10 [ S ] दृश्यतां ; C यौवनं ; J1 दृश्यते ; Y1 भ्रश्यतां ; T3 विश्वसा
( for दृश्यताम् ) . [ The correct reading may be अदृश्यताम् as in Ao.1 Y10 ] .
BIS . 6495 ( 3003 ) Bhartr . ed . Bohl . 1. 95. Haeb . 98. lith ed . II . 2 .
Kāvyas . 97 ; SSD . 2. f 120 ; SLP . 4.52 ( Bh . ) .