Tawney

Abstinence from sin of bloodshed, and from speech of others' wives, Truth and open-handed largess, love for men of holy lives, Freedom from desire and avarice,—such the path that leads to bliss, Path which every sect may travel, and the simple cannot miss.

Telang

verse

Text (not proofread)

प्राणाघाताभिवृत्तिः परधनहरणे संयमः सत्यवाक्यं

काले शक्त्या प्रदानं युवतिजनकथामूकभावः परेषाम् ।

तृष्णास्रोतो विमङ्गो गुरुषु च विनयः सर्वभूतानुकम्पा

सामान्यः सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयसामेष पन्थाः ॥ २६ ॥

footnote

Text (not proofread)

XXVI . ( a ) ० णा ; ° ण्या ° . R. P. ° तान्त्रि ° ; तैनं ०. Bo.n. ( ० ) ० यः ;

° ति : Bo.n. ° ता ; ते ° B .. ( d ) . विधिः मतिः Bo.n. गतिः P. ॰ष ०६ .

C. W. Bo . Be . G.

endnote

Text (not proofread)

Št . XXVI .— [ is equivalent to . Grammatically it is

to be explained probably by the Värtika यकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम् 806

Siddh . Kaum . I. , 270. M : an fakŵâu riya : ( com .

mentary ) . The last line may be thus rendored . This is the path

to happiness which is common to all the S'âstras and which

violates no rules or ordinances . For : comp . Vairâgya

s'ataka 45. — S'ragdhará .

Telang

verse

Text (not proofread)

प्राणाघातानिवृत्तिः परधनहरणे संयमः सत्यवाक्यं

काले शक्त्या प्रदानं युवतिजनकथामूकभावः परेषाम् ।

दृष्णास्रोतोविभङ्गो गुरुषु च विनयः सर्वभूतानुकम्पा

सामान्यः सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयसामेष पन्थाः || ६३ ॥

footnote

Text (not proofread)

EXIII . See Nitis ataka . St. 26 where add ( b ) ● कया , क्यम , A.

( c ) त्रिमयः ; नियमः B.

endnote

Text (not proofread)

St. LXIII . - On the fonrth line , R & marshi says सर्वशास्त्रेषु षण्मती

प्रती ( sic ) पादकेषु भागमैषु एवं भयं श्रेयसां कल्याणानी सामान्यः साधारणः पन्था

मार्गों भवति , This is the same as Nitis ataka St. 26 .

Gopinath1914

Text (not proofread)

Gopinath1896

Text (not proofread)

Kosambi

verse

Text (not proofread)

प्राणाघातान् निवृत्तिः परधनहरणे संयमः सत्यवाक्यं

काले शक्त्या प्रदानं युवतिजनकथामूकभावः परेषाम् ।

तृष्णास्रोतोविभङ्गो गुरुषु च विनयः सर्वभूतानुकम्पा

सामान्यः सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयसामेष पन्थाः ॥ ३ ॥

footnote

Text (not proofread)

3 V. in N ( but J1 N. 101 ) and N. in S. Omitted in I. O. ( Keith ) 7207 .

NS 3. V. 62 , N. 111 ( extra ) . ISM Kalamkar 195. N. 103 ( 105 ) and V. 80 ( 82 ) .

“ ) B1.2 ( orig . ) F2 H_Y7 T2 . 3 M1 – 3 प्राण्याघातान् ; Fs प्राणाघाते ; W2 प्राणीघातान् ;

M4 प्राणाघाता . B परधनहरणात् . Ta संयतं ( for संयमः ) . M1.2.4 वाचि सत्यं ( for

सत्यवाक्यं ) . . 4 ) Ts सत्या ( for शक्त्या ) . A2 मुग्धभावः ( for -सूकभाव :) . – 0 ) A0-2 B

E F5 H1_I_W1.3 X 2 ( orig . ) तृष्णाश्रोतोविभंगो ; A3 तृष्णोत्रोतो ; D तृष्णारामाभंगो ;

F3 X7 तृष्णास्त्रोतो विभागो ; X1 Y1 ( except printed text ) तृष्णाशांतोर्मिभंगो ; G1 ' स्त्रोतो

विषंगो ; M2 स्रोतोवभंगो ; M + स्रोतोनिभंगो ; Ms स्रोतोतिभंगो . Fs विनतिः ( for विनयः ) .

d 4 ) E सामान्या ; Es ( orig . ) Y1 सामान्ये ; J X Y 2.3.7.8 TG4.6 5 M2.6 सामान्यं

G1 M1.8.4 प्रामाण्यं ( for सामान्य : ) . B H1c . 2 M4 अनुपहतगतिः ; CF2.5 X Yas

' हतमतिः ; D ' मतविधिः ; J हतधियां ( for हतविधिः ) . I एक ; Wa . 8.4 ( orig . ) Y1 एव

( for एष ) .

BIS . 4310 ( 1891 ) Bhartr . ed . Bohl . 2.60 . lith ed . I. 25 , II and Galan . 26 ;

SRB . p . 180. 1056 ; SRH . 7. 19 ( Bh . ) ; SRK . p . 99. 2 ; Yasastilakacampū of

Somadeva ( K.M. 70 , part II , p . 99 , Vararuci ; com . Vararusi = Kātyāyana ) ;

SA . 24,89 ; SSD . 2. f 95a ; SKG . f . 17b .