विरम विरसायासादस्माद्दुरव्यवसायतो
विपाद महतां धैर्यध्वंसं यदीक्षितमीहते ।
अपि जडमते कल्पापाये व्यपेतनिजक्रमा :
कुलाशखरिणः क्षुद्रा नैते न वा जलराशयः ॥ २० ॥
XX . ( a ) ° साया ० ; ° माया ° . D. N. ° तो ; ° तः . K and lines one
and two change places . ( 0 ) °° ; यि P. R. N. मते ; विधे . K. P.R.
N. व्य ° ; प्य ० . N. ° माः ; मः D. ( d ) जळराशयः ; ● चापि जलाशया : K.
St. XX. the trouble of which has nothing to
sweeten it . foolish occupation . I have put
and sq & c . as separate words in accordance with what
seems to be Râmarshi's interpretation which takes & c . and
: as both predicative ; though I am not sure of this . I
however prefer कल्यापायेभ्यव्यपेतनिजक्रमा एते कुळशिखरिणः क्षुद्रा न भवन्ति
. It may also do to take it as üft Fö
शिखरिण : व्यपेतानेजक्रमाः क्षुद्राश्च न ( भवन्ति ) न वैते जलराशय : Rāmarshi's
comment runs as follows : एते महान्तः क्षुद्राः ळपत्र ( sic . ) कुलशिखरिण :
कुळपर्वताः न भवन्ति | वा अथवा एते जळराशयः समुद्राः | न किंभूताः क्षुद्राः उघव :
पुनः किंलक्षणा : उभये कल्यापाये कल्पस्य भपायोन्तः तस्मिन् व्यवेतनिजक्रमाः व्यपेतः
गतः निजक्रमो गुरुत्वगाम्भीर्थादिः येषां ते तथा . The idea of the Stanza is a
common one , comp . Kirâta XI . , 54 and still better because more
closely alike is Viracharita p . 110. ( Trith . ) Surag Â
लवाति प्रतिदिशम् | समुन्मूर्च्छत्साराः कुलशिखरिणः किंचिदपि ते | न मर्यादा तेषि प्रतिज
हाते गाम्भीर्यगरिमस्फुरद्वार्ब्रह्माणोकलितमहिमानीम्बुनिधयः ॥ - Härini .
विरम विरमायासादस्माद् दुरध्यवसायतो
विपदि महतां धैर्यध्वंसं यदीक्षितमीहसे ।
अयि जडविधे कल्पापाये व्यपेतनिजक्रमाः
कुलशिखरिणः क्षुद्रा नैते न वा जलराशयः ॥ ३२७ ॥
327 { N } Om in CWY 2G4 M + 5 , Mysore 582 , BORI 329 , Punjab 2885
and Ujjain 6414. a ) B D E F1 2 H1.2.3t I Y3 G2.3 विरसा ( for विरमा ) . A
[ भ ] मुष्मानूनं ( for [ आ ] यासादस्माद् ) . F3 दुरवध्याव- X दुराध्यव ; Y2 दुर्व्यव- ( for +
दुरध्यव- ) . 6 ) Fs कर्तुं च समीहसे ; J2 . 3 यदि क्षितिमी ' ; M2 समीक्ष्य न लज्जसे . * ) D
Eot.1.2.5 F Y1.6 अपि ( for अयि ) . B1 I X Y 163 जडविधे :; D J Y1 जडमते ; F1
जड़ मिधे :; F2 हतविधे ; F4 जलनिधे : ● Fo.15 कल्याणाय ( for कल्पापाये ) . B1 व्यत्येव -14
व्यपैति ; J2 व्यवसित- ; Y8 निरस्त ; 11 U G1.35 M3 [ S ] प्यपेत- ( for व्यपेत ) . Est It पराक्रमाः 4 ;
F2 ° निजालया :; F1 ' निजक्षमा ; Ja ' निजक्लमाः ; X ' निजक्रमः – 4 ) F2 क्षुण्णा ; Ja
( for क्षुद्रा ) .
BIS . 6148 Bhartr . ed . Bohl , extra 17 ( order bacd ) . Haeb . 2. 75 .