Kosambi

verse

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यथातुरः पथ्यमरोचमानं जिजीविषुर्भेषजमाददीत ।

तथा यियासुर्भुवि लोकयात्रां भुञ्जीत भोगानविषक्तचित्तः ॥ ३०५ ॥

footnote

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305 2 5 } Found in B C F , F1 2 ( Ś39 ) ; P1 ( 514 ) [ Also GVS 2387 Ś44 :

BORI 329696 ( 97 ) ; Punjab 2101 597 ( 98 ) : Jodhpur1 Ś41 ( 40 ) ; Jodhpur3

Ś40 ; NS1 Ś48 ; NS2 S40 ] . – 6 ) C आदधाति ; Est आददानः ; + F आददाति . - ° ) BC

धिया सुश्रुवि ; F1 F + विधासुध्रुवि CF लोकपात्रं - 4 ) E3 अविषिक्त ; Es नविषक्त ; Fa

भविमुक्त : B C F4 -चेताः .

BIS . 5108 ( 2310 ) Bhartr . lith ed . II . 1. 44. Schiefner and Weber p . 22 ;

BLP . 4. 87 ( Bb . ) .