कान्ताकटाक्षविशिखा न खनन्ति यस्य
चित्तं न निर्दहति कोपरुशानुतापः |
कर्षन्ति भूरिविषयाश्च न लोभपाशे
लोकत्रयं जयति कृत्स्नमिदं स धीरः ॥ १०७ ॥
कान्ताकटाक्षविशिखा न खनन्ति यस्य
चित्तं न निर्दहति कोपकृशानुतापः ।
कर्षन्ति भूरिविषयाश् च न लोभपाशा
लोकत्रयं जयति कृत्स्त्रमिदं स धीरः ॥ २३० ॥
230 * { N } Om . in Y3 ; belongs to no paddhati , and apparently a later
addition in W. a ) C लुनर्ति ; D F2 3 Y2 . 4 - 8 T G2 - - 6 M4 लुनन्ति ; Fs W दहन्ति ;
J लुयन्ति ; G1 M1.25 दळन्ति ( for खनन्ति ) . M + नुदकंति ( for न खनन्ति ) . . by
X काम ; T3 चोप- ( for कोप- ) . D -दृशानुतापः ; Eat -कृतः - कृशानु :; E2c Fs - कृतानुताप :;
J1.3 X1 - कृशानुतापाः . ९ ) Hst वर्षन्ति ; Yo Ti ( c . v . as in text ) तर्षन्ति ; T3 कुर्वन्ति ;
G1 M1 - 3 नह्यन्ति ( for कर्षन्ति ) . 13 भूमि - ( for भूरि- ) . C F2 X Y1 ( t.v. as in text )
G1 M1 - 3 - विषयांश्च . H3c J2 W G + लोभपाशैर ; ; ' s Mt. पाशाल . a ) C लोके यो ;
X 1 लोकत्र ये ; Y : एतत्रयं J3 Xt जगति ( for जयति ) . I कृष्णमिदं . B2 G1 हि धीरः ; J1.3
शरीरं ; X1 स धीराः ( for स धीरः ) .
BIS . 1626 ( 633 ) Bhartr ed . Bohl . 2. 76. JIael ) . 77. lith ed . I. 105 , II . 107 .
Galan 108 ; SRB . p . 78. 12 ; SRK . p . 15. 47 ( Prasangaratnāvalī ) ; SK 2. 81 ;
SSD . 2. f . 99b ; JSV . 173.5 .