Gopinath1914

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Gopinath1896

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Kosambi

verse

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इमे तारुण्यश्रीनवपरिमलाः प्रौढसुरत

प्रतापप्रारम्भाः स्मरविजयदानप्रतिभुवः ।

चिरं चेतश्चौरा अभिनव विकारैकगुरवो

विलासव्यापाराः किमपि विजयन्ते मृगदृशाम् ॥ २१७ ॥

footnote

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217 { Ś } Om . in W. – “ " ) C J2 तारुण्यस्त्री . A8 ID Eat J1 X Y1G4 - नवपरिमल - 3

Y7 - धवपरिमलाः – 6 ) 5 - प्रतान- ; M 1.5 प्रदोष - ( for प्रताप - ) . J1 G4 प्रारंभ . F3 स्मरवि

जयि . G1 -मान- ( for -दाम- ) . ° ) ID F 3 4 J S ' श्रोश : ( for ' चौरा : ) . Y2.8.7 G8

त्वभिनव J G + M. 2. 8 -विलासैक- . d ) G1 M2 . 3 विशाल A G2t . + किमिव विज ; O

किमपि मृग ; Y क्षणमपि ज ( for किमपि विज ) . B1G1 Ms मृगदृशः .

BIS . 1123 ( 3752 ) Bhartr . lith . od . II . 1. 85.in Schiefner and Weber p . 23 ;

SR.B. p . 255. 30 ; SLP 5.22 ( Bh . ) .