आमीलितनयनानां यत् सुरतरसोऽनुसंविदं कुरुते ।
मिथुनैर्मिथोऽवधारितमर्चितमिदमेव कामनिर्वहणम् ॥ २१५ ॥
215 { 8 } Om in H M 1.5 Mysore 582 ( the last three subst . स्थगयति तमः
etc. ) Srigeri 309 and BORI 326. — a ) A2 C अमीलित O ; F + उन्मीलित ; X 2 अमिलित
( for आमीलित ) , . 4 ) B2 E02 . 30.6 F3 - 6 JW Y ( Y1AB om . ) TG2 . 3. यः ; G G + अधः
( for यद् ) . A Est F1a J1 ° रतो न ; BCD F8.6 ° रसोन ; W½ रसानु- ( for ' रसोऽनु ) .
I -संविदां ; J संविदा ; Y2.4.5 G2.3.5 -संपदं ; Y3.1 संविदो . J Y 3 - 0 TG½ . 5 भाति ; Y2.7
G23 Ms भवति GI G1 सुरतरसानुभवसंविदां भाति ; M1 . यत्सुरतमहोत्सवात्सुखं भवति . - )
C C मिथोवतारितम् ; 61 मिथोपधारित - ; ( G4 मिथो विभाति . 2 ) B1 F1 . 2 अर्थितम् ; B2 F3-5 I
J2 W Y T G2 . 4 , 5_M1 अवितथम् ; Com .; G1 M2 विततम् ; M3 वितथम् ( for अर्चितम् ) .
F2.5 इदमेक- ; X अपि ( for इदमेव ) . A3 F1.3 W कामनि ( Wat ' वि ) बर्हणं ; C कामनिवर्हणं
च ; D कामनिर्वाणं ; E20 J1 G2 . 3 कामिनिर्वहणं ; s कामनिर्घहनं ; X 1 - + कामनिर्हरणं ; M3
कामिनीवहनं . G + मीलितनयनकामिनिर्वाणं .
DIS . 977 ( 365 ) Bhartr ed . Bohl . 1. 27 lith , ed . II . 67 ; SLP 5. 3 ( Bh . ) .