Kosambi

verse

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आघाय पुस्तकं धन्याः सर्वं विद्म इति स्थिताः ।

शतकृत्वोऽपि शृण्वन्तो हा न विद्मो जडा वयम् ॥ २१४ ॥

footnote

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214 { V } Collated A D F1s and BVB5 V116 ( extra ) [ Also BORI 329

V97 ; Punjab 2101 V97 ; Punjab 697 V119 ; BORI 328 V131 ( 29 ) ; NS2 V87

( 86 ) ; GVS 2387V112 ] . – ) BVB5 आदाय . a ) F 1. 2 हीनविद्या ( for हान विनो ) .

BIS . 868. Subhāsh . 318 .