अतिक्रान्तः कालो लटमललनाभोग सुलभो
भ्रमन्तः श्रान्ताः स्मः सुचिरमिह संसारसरणी |
इदानीं स्वःसिन्धोस्तटभुवि समाक्रन्दनगिरः
सुतारैः फूत्कारैः शिव शिव शिवेवि प्रतनुमः ॥ ३२ ॥
अतिक्रान्तः कालो लटभललनाभोगसुभगो
भ्रमन्तः श्रान्ताः स्मः सुचिरमिह संसारसरणौ ।
इदानीं स्वःसिन्धोस् तटभुवि समाक्रन्दनगिरः
सुतारैः पूत्कारैः शिव शिव शिवेति प्रतनुमः ॥ २०१ ॥
201 { V } Collated AC D E F 1. [ Also BORI 329 V34 ; Punjab 2101
V33 ; Punjab 697 V32 ; Jodhpur3 V35 ; NS1 V39 ; NS2 V28 ( 27 ) ; NS3
V108 ( extra ) . ] ¬ ) A E3.4t F4 ललित - ( for लटभ - ) . Est ' भोगसुलभो . – ) D
श्रान्तं Eot . 3 स्म ( for स्मः ) . A2E ° सरण ( E5 ° णीं ) ; D ° सरणं ; F + सरसि ( for सरणौ ) .
९ ) D समाकांतन- ; F1 स ( marg . श ) मास्पन्दन Ait ( before corr . ) -गिराः ; Est - गिरे .
.d ) D सुरारैः ( for सुतारैः ) . D स्फुत्कारैः ; Fi फूत्कारैः 40 2 D प्रलपतः ( for प्रतनुमः ) .
BIS . 127 ( 3401 ) Bhartr . lith ed . I. 3. 101 , III . 98. Subhāsh 311 ; SRB . p .
368.53 ; SRK . p . 294 , 5 ( Bh . ) .