उरसि निपतितानां स्रस्तधम्मिल्लकानां
मुकुलितनयनानां किंचिदुन्मीलितानाम् ।
उपरिसुरतखेदखिन्नगण्डस्थलीनाम्
अधरमधु वधूनां भाग्यवन्तः पिबन्ति ॥ १२३ ॥
123 4 a ) ) A3 B C C D E F 2 2.3.6 3 6 H1c I J X उपरि ( for उरसि ) . D त्रस्त ; Eo . 1. 8. 4
F4 H I J 1 श्रस्त - ( for स्रस्त ) . - 8 ) A2 B1 उन्मीलतानां . ● ) A3 B E3c . 6 F1.25 H I
W X सुरतजनित ; C सुरतसमर ( for उपरिसुरत ) . B2 Fat.v. खेदस्निग्ध ; CY4
- खेदस्वेद- ; D Eo . 2.5 X - खेदखिन्न ; E1.4 खेदा ( E1 ° दात् ) खिन्न ; Est खेदाक्लिन्न- ; W
-खेदस्वाई ; Yr -भेदास्विन्न ; G1 वेगस्विन- ; Gs - खिन्नस्वेद- ; Ms -तांतस्विन्न ( for खेदस्विन्न- ) .
B Eo . 1.4t . 5 I -गल्ल- ( for - गण्ड- ) . A3 B2 E3 H Y + TG5 -स्थलानाम् . a ) D H2 It
X 2 ( orig . ) मधुरमधु ( for अधरमधु ) . Ao - 2 B E0 - 2.40 5 F1 I J2 पुण्यवंतः ; Jat भार्यवंत :
( for भाग्यवन्तः ) .
BIS . 1315 ( 492 ) Bhartr . ed . Bohl . 1. 26. lith ed . II . and Satakāv . 65 .
Prasañgābh . 8 ; SBH . 2137 ; SK 5 106 ; SU . 713 ; SLP . 3. 28 .