प्रथितः प्रणयवतीनां तावत् पदमातनोतु हृदि मानः ।
भवति न यावच् चन्दनतरुसुरभिर्मलयपवमानः ॥ २७४ ॥
274 { Ś } Om . in CJs , Wai 2 , Ujjain 6414 , Nagpur 1087 , BORI 326. ed
missing in Fs . * ) D प्रश्रय- ; Eot.atI X7 13 प्रथित- ; at प्रायः ; F2 प्रथिताः ; Is X प्रयतः ;
F½ प्रथयति ; J2 पतितः ; Yo दयित : ; M० प्रथितं ( for प्रथितः ) . ( ( 1 प्रणयवनितानां Baks
W प्रियपुरतो ( B2 ' पुरुषो ) युवतीनां ; II प्रिये प्रणय कुपितानां - 4 ) F1.3 तां तां ( for तावत् ) .
A3 B E3t F ‡ ( by corr . ) Hit . 2.3t X X 1.3 पदमातनोति ; F1.3 मुदमातनोतु ; M1.5 स्थानं
तनोति ( for पदमातनोतु ) . Ms मानं ( for मानः ) . ( c C ) E5 न भवति ; Y3 वहति न ( for
भवति न ) . M3 स्त्रीणां ( ( for चन्दन - ) . X यावद्भवति न चंपा . - 4 a ) M3 चंदनतरु - ( for तरु- ) .
Fot - सुरति - ; F2 W1G1 M3 - सुरभि Eot -निर्मलयपवमानः ; 2 E G1- मलयपवनः ; 2 मल्यपवनः .
W1 - मधुरनिर्मलः पवनाः ; W2-1 मधुनिर्मल : पवन : ( W com . यावन्मलयानिलो न भवति ) .
BIS . 4347 ( 1916 ) Bhartr . ed . Bohl . 1. 32. lith ed . II . 91. Satakav .
65 ; SLP.5.24 ( Bh . ) .