Gopinath1914

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Gopinath1896

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Kosambi

verse

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उदृत्तस्तनभार एष तरले नेत्रे चले भ्रूलते

रागाधिक्यतमोष्ठपल्लवदलं कुर्वन्तु नाम व्यथाम् ।

सौभाग्याक्षरपङ्किकेच लिखिता पुष्पायुधेन स्वयं

मध्यस्था हि करोति तापमधिकं रोमावली केन सा ॥११ ९ ॥

footnote

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119 a “ ) Aoc B1 DH J2cY ( except Y37 ) T1G5 M उद्धृत्त :; W₁ यद्वृत्त ( for

उद्वृत्त - ) . A2 एक ( for एष ) . Yo चंचच्- ( for नेत्रे ) . J1 Y6 चलद्- ; Y1 व ते ; G1 M3

च तद्- ( for चले ) . 1 ) B C D E2t F H I J X Y1.3.6–8 T G1 1 5 M रागाधिष्ठितमो

( X1 दो ) ष्ठ- ; Eot.it + t 6 रेकाधिक्यतमोष्ट ; Eoc . 10 रैकाधिक्य ; Eac . at एकाधिक्य- ; Eac.c

ऐकाधिक्य ( Eo . 3. coms . एकेन = रागेण ; E1.5 coms . रेकेन = रागेण ) ; W रागांधेषु तदोष्ठ ;

Y2.4.6 G2.8 रागावेष्टितमोष्ठ- [ A com . रागाधिक्यतम = रक्तिमारि ( Ao com . ललाईरि ) .

अत्यंत अधिकाई . E com . on 28 ends तमां = अधिकतरां . Both A1 com . and Ei com .

' तमोष्ठ S = ' तम + उष्ठ . ] A8 पल्लवतर्म ; B C D E2t F H I J S ( except X 2 ) - पल्लवमिदं .

Y 2 कामं ; Y 16 G23 M5 Ms काम- ( for नाम ) . 0 ) Y 4.0 सौभाग्याधर C F 3. 4 J2 w

Y1 . 2. 4 , 5 G2.3_M1 + पंक्तिरे ( X 2 ° ३ ) व ) ; F1 2 H_J1 X Y : TG15 Ms - मालिकेव . J1

लिखितं ( for लिखिता ) . - 2 ) All MSS . ( except A BE1 - 1 ) मध्यस्था ( J1 ° स्थो ) पि ( for

' स्था हि ) . B1Xat अनिशं ( for अधिकं ) . Y1 - 0.8 T रोमावलिः . J1 Y1.4 - 8 T1 G M1 - 4

वा ; X 2 Y2 मे ; T2 ता ( for सा ) .

BIS . 1259 ( 472 ) Bhartṛ . ed . Bohl . and lith . ed . III . 1. 15. Haeb . 17 .

lith . ed . II . 60. Satakv . 63. SBH . 1354 ; SDK 2.774 ( p . 119 ) ; SLP . 4.100

( Bh . ) .